बुधवार, 23 दिसंबर 2020

घर पर इन खास टिप्स की मदद से बनाएं सॉफ्ट गुलाब जामुन By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब Hindi23rd December, 2020 घर में रहते हुए कई बार मीठा खाने का मन करता है। मीठे में इंडियन डेजर्ट गुलाब जामुन काफी पसंद किया जाता है। यह काफी मुलायम होता है और इसमें भरा रस मुंह में जाते ही मानो घुल सा जाता है। क्या आपको भी गुलाब जामुन काफी पसंद है? क्या आपको गुलाब जामुन खाने की क्रेविंग हो रही है। तो आइए आज इन कुकिंग टिप्स के जरिए सीखते हैं घर पर गुलाब जामुन कैसे बनाया जा सकता है।imageगुलाब जामुन बनाने के लिए सामग्रीइंस्टेंट गुलाब जामुन मिक्स पाउडर- 1 पैकेटमैदा (रिफाइन्ड फ्लोर ) - 20 से 30 ग्राम (2-3 टेबिल स्पून)चीनी- 600 ग्राम (3 कप)घी- गुलाब जामुन तलने के लिएimageगुलाब जामुन बनाने की विधि-इंस्टेंट गुलाब जामुन मिक्स पाउडर को एक चौड़े और बड़े बर्तन में रखकर तब तक मलें जब तक कि वह नरम, चिकना गूंथे हुए आटे जैसा न हो जाए।-चाशनी बनाने के लिए एक बड़े भगौने में चीनी में, 300 ग्राम पानी (पानी चीनी की मात्रा का आधा रहेगा) डालकर गैस पर चढ़ा दें। इसे बीच बीच में चलाकर तब तक पकाएं जब तक कि चाशनी में उबाल न आ जाए।-चमचे से चाशनी को चला कर देखें अगर चीनी पूरी तरह से घुल चुकी है उसके बाद भी इसे 3 मिनट तक पकाएं। आपकी चाशनी तैयार हो चुकी है।- अब गुलाब जामुन वाला मिक्सचर लेकर दोनों हथेलियों के बीच रख कर गोल आकार दें और इसे प्लेट में रखते जाएं।-इसके बाद कड़ाही में घी डाल कर इसे गैस पर चढ़ा दें। जब घी गर्म हो जाए तब इसमें गुलाब जामुन वाली गोलियां तलने के लिए डालें। एक साथ आप 4 से 5 गोलियों को तल सकते हैं। इसे सुनहरा भूरा होने तक दोनों तरफ से अलट-पलट कर तलना है।-जब गोली तल जाए तब इसे निकाल कर प्लेट में रखें और ठंडा होने दें। इसके बाद इन गोलियों को चाशनी में डुबो दें। इसी तरह सारे मावा के गोल गोल गुलाब जामुन बनाकर, तल कर चाशनी में डाल दें। इसे चाशनी में डूबा रहने दें। करीब एक घंटे बाद निकालकर इसे फ्रिज में रख दें।-तैयार हैं आपके गुलाब जामुन। सर्विंग बाउल में निकालकर लोगों को प्यार से खिलाएं।,

बुधवार, 9 दिसंबर 2020

Winter Diet: शरीर को करना है अंदर से मजबूत तो सर्दियों में गोंद के लड्डू खाना बिल्कुल न भूलें, नोट करें RecipeBy *समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*Last Modified: Wed, Dec 09 2020. 17:18 gond ladduWinter Special Diet: सर्दियों में खुद को हेल्दी रखने के लिए अक्सर भारतीय परिवारों में बड़े-बुर्जुग गोंद के लड्डू का सेवन करने की सलाह देते हैं। गोंद के लड्डू हल्दी होने के साथ-साथ पौष्टिक गुणों से भी भरपूर होते हैं। इन लड्डूओं का सेवन करने से सर्दियों में होने वाले हड्डियों और मसल्‍स के दर्द को दूर करनेमें मदद मिलती है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं कैसे बनाए जाते हैं गोंद के लड्डू। गोंद के लड्डू बनाने के लिए सामग्री--200 ग्राम- आटा-1 कप- गाय का घी -1 कप- पिसी चीनी-1 कप- खाने का गोंद-50 ग्राम- कटे हुए काजू-50 ग्राम- कटे हुए बादाम50 ग्राम- तरबूज के बीजगोंद के लड्डू बनाने की विधि-गोंद के लड्डू बनाने के लिए सबसे पहले गैस पर एक कड़ाही गर्म करकें, उसमें घी डालकर गोंद को मध्यम आंच पर फ्राई कर लें। जब गोंद गोल्डन ब्राउन हो जाए तो गैंस बंद कर दें। गोंद को ठंडा करके उसे मिक्सी में पीसकर अलग रख लें। अब कड़ाही पर घी गर्म करके उसमें आटे को हल्का भूरा होने तक धीमी आंच पर भूनें। लेकिन ध्यान रखें की आटा जलना बिल्कुल नहीं चाहिए। इसके बाद आटे में गोंद, काजू, बादाम और तरबूज के बीज डालकर गैस बंद कर दें। फिर इस मिश्रण को कढ़ाई से बाहर निकालकर ठंडा होने के लिए रखें। अब आटा और गोंद के मिश्रण में पिसी चीनी को मिलाकर उसके गोल-गोल लड्डू बना लें।,

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

प्रत्येक इंसान चाहता है कि उसका शरीर ताकतवर रहे, स्वस्थ रहें । अधिकतर पुरुषों में कमजोरी का प्रभाव देखने को मिलता है जिसका कारण है उनका गलत खानपान । आज हम आपको उन तीन चीजों के बारे में बताने वाले हैं जिनका यदि लगातार सेवन किया जाए तो 1 महीने से भी कम समय में शरीर बलवान बन जाएगा । Vnita punjab आंवला –आंवला में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं । जो पुरुषों को दीर्घायु प्रदान करते हैं । आंवला खाने से बाल काले, लंबे एवं घने होते हैं । त्वचा जवान दिखती है, स्कीन का रंग साफ होता है । आंवले का मुरब्बा या आचार इस्तेमाल कर सकते हैं । Vnita Kasnia खजूर –खजूर में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन के, विटामिन ए, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं । जो शरीर को मजबूत और ताकतवर बनाते हैं । सुबह के नाश्ते में दूध के साथ खजूर का सेवन करने से मांसपेशियों का विकास होता है और शरीर में ताकत आती है Vnita punjab किशमिश –किशमिश में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो मजबूत शरीर बनाने के लिए पर्याप्त है । किशमिश का सेवन लगातार करने से कब्ज की समस्या दूर होती है और स्टेमिना बढ़ाती है ।

मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

वनिता हे नारी !! तुम्हें भय कैसा आँखों मे अश्रु और माथे पर ये लकीरें ??तुम्हें दुख किस बात का है ??ऐसी कौन सी पीड़ा है जो तुम्हें अंदर ही अंदर खाये जा रही । मैं क्या कहूँ कैसे कहूँ , मुझसे कुछ कहा भी नहीं जा रहा ।मैं इस युग में खुद का अस्त्तित्व मिटते देख रही हूँ। मैं अबला जैसे नामों से पुकारी जा रहीं हूँ। मेरे हाथों में सजी ये हरी लाल चूड़ियाँ कमज़ोर एवं नकारे इंसान के लिए प्रयुक्त होने लगी हैं। और पैरों में सजे ये पायल बेड़ियों का रूप ले चुके हैं । मेरे अपने भी मुझे भार समझ बैठे हैं । उन्हें लगता है मैं कमजोर हूँ , मैं कुछ नहीं कर सकती । तुम्ही बताओ मैं क्या करूँ । मुझे लगता है मेरा होना सच में ही व्यर्थं है । तुम्हीं बताओं मैं कैसे बतलाऊँ उन्हें अपनी महत्ता ??लेखिका👇हे देवी , आप बिलकुल भी परेशान न हो और न ही खुद को कमजोर समझें । हमारे साथ जो हो रहा उसके जिम्मेदार हम ख़ुद ही हैं और हमारा मन ही हमारे साथ हो रहे उचित -अनुचित , सही गलत सबका एकमात्र कारक है । माना आज स्थिति ठीक नहीं है । इस पुरुष प्रधान समाज में आपको पीछे खींचने की कोशिश की जा रही है । आपको कमजोर अबला नाम से सूचित किया जा रहा लेकिन अगर देखा जाए तो ये दुनिया जिसके दम पर चल रही वह आप खुद है । आप नहीं तो इस संसार का आस्तित्व ही ख़त्म हो जाएगा । आपके बिना इस संसार का विकास क्रम ही अवरुद्ध हो जाएगा । आप की माहिमा तो वेदों और ग्रंथो में की गई है ।आपकी शक्ति तो आपके लिए प्रयुक्त नामों से पता लगाई जा सकती है। उदहारण स्वरूप अगर आप महिला शब्द को ही देखें तो मह + इल च + आ = महिला अर्थात वह जिसका अर्थ श्रेष्ठ है और जो पूज्य है वही महिला है।और हे देवी आप तो प्राचीन काल से ही सर्वोपरि है आपके लिए ऋगवेद में मेना शब्द वाचक है और इसकी व्युत्पत्ति भी दी गयी है कहा गया है कि मानयन्ति एना: ( पुरुषा:)अर्थात पुरुष इनका आदर करते हैं इसलिए इन्हें मेना कहते हैं।हे देवी आपके ही रूप का बोधक" ग्ना " शब्द जो ऋगवेद मेंं देेेव पत्नियों के लिए प्रयुक्त हुआ है और ब्राह्मण ग्रंथो में जो शब्द मानवी के लिए प्रयुक्त है जिसकी व्याख्या में यास्क लिखता है कि "ग्ना गच्छन्ति एना: ।"अर्थात पुरुष ही उसके पास जाते है और सम्मान पूर्वक बात करते हैं । हे देवी इस प्रकार आपको तो पुरुष से अनुनय की आयश्यकता ही नही पड़ती। आप क्रियाशील है जिसके कारण ही आप नारी हैं । हे देवी आपकी इच्छाशक्ति बहुत ही प्रबल है और आप शोभावान भी है इसलिए ऋगवेद में सुंदरी शब्द आपके लिए प्रयुक्त हुआ है ।आप जागे और खुद को पहचानने की कोशिश करें । प्राचीन काल से ही आपको स्वतंत्र चेतन सत्ता के रुप मे ही स्मरण किया गया है और आपके प्रति सम्मान का भाव उजागर होता है । अतः जो भी आपको भार समझतें हैं वह अज्ञान हैं और आप तो विदूषी हैं और आपको सरस्वती का रूप मानते हुए अथर्ववेद में 14/2/15 में कहा गया है कि प्रति तिष्ठ विराडसि विष्णुरिवेह सरस्वति सिनीवाली प्र जायतां भगस्य सुमातावसत्।अर्थात हे नारी तुम यहाँ प्रतिष्ठित हो।तुम तेजस्विनी हो । हे सरस्वती तुम यहाँ विष्णु के तुल्य प्रतिष्ठित हो ।हे सौभाग्यवती नारी तुम संतान को जन्म देना और सौभाग्य देवता की कृपा दृष्टि में रहना । और जो भी आपको नकारा समझतेंं हैंं उन्हें यह समझने की जरूरत है कि आप एक होकर भी कई रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करती हैं। आप से ही परिवार बनता और बिखरता है। आप माँ बन अपने संतान के लिए दुनियां की विशाल शक्ति से भी लड़ने को तैयार रहती हैं ।आपका प्रेम निस्वार्थ है । आप इस धरा पर भगवान का रूप हैं । कभी बहन तो कभी पत्नी, बेटी आपके हर रूप की महिमा करने के लिए मेरे पास शब्द ही पर्याप्त नहीं हैं।किसी शब्द में वो शक्ति ही नहीं है जो पूर्ण रूप से आपका बखान कर सके ।आपके सम्मान में तो यहाँ तक कहा गया है कि यत्र नारी पूज्यन्तेरमन्ते तत्र देवताःअर्थात जहाँ पर नारी पूज्यनीय होती है वहाँ पर देवता निवास करते हैं । हे देवी जो आप में और पुरुष में भेद करते हैं जिन्हें घर मे कन्या अवतरित होने पर लगता है कि वह तो एक बोझ है और उसे पढ़ाने लिखाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह तो गैर की अमानत है । उनके लिए कुछ भी करना व्यर्थ है । और कुल / वंश बढ़ाने के लिए लड़के जा होना जरूरी समझतें हैं । वह अज्ञान हैं।वह शायद प्राचीन काल में कही इस बात से अंजान हैं कि :- "कुलोन्नयने सरसं मनो यदि विलासकलासु कुतूहलम् ।यदि निसत्वमभीप्सितमकेदाकुरु सताँ श्रुतशीलवतीं तदा।""अर्थात :- यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारे कुल की उन्नति हो । यदि तुम्हें ललित कलाओं में रुचि है । यदि तुम अपने संतान का कल्याण करना चाहते हो तो अपनी कन्या को विद्या , धर्म , शील से युक्त करो ।"और हम इस बात की नकार नहीं सकते कि यदि आप एक पुरुष को शिक्षित कर रहें हैं तो आप एक परिवार को शिक्षित कर रहें है लेकिन यदि आप एक स्त्री को शिक्षित कर रहें हैं तो आप अपने आने वाली कई पीढ़ियों को शिक्षित कर रहें हैं ।इसलिए हे देवी आपका यह सोचना की आप का जीवन व्यर्थ है और आप कमजोर है यह उचित नहीं है। हे देवी तात्विक अभेदता के बावजूद भी व्यवहारिक रूप से अधिक जिम्मेदारी वहन करने के कारण ही मनुस्मृति में मनु ने कहा है कि जहा आपका सम्मान होता है वहीं पर देवता निवास करते हैं।आज इस युग मे देखें तो मर्दो की लड़ाइयों में भी गलियां माँ बहन को सुननी पड़ती हैं । यही कारण है की इस युग की प्रगति उन्नति की सारी क्रियाएँ निष्फ़ल होती जा रहीं हैं। आप स्वयं ही हमें बताएं कि जब मार्कण्डे पुराण में यह उल्लिखित है कि समस्त स्त्रियाँ और समस्त विधाएँ देवी का रूप हैं ।" विद्या समस्तास्तव देवि भेदाः ।स्त्रियः समस्ता सकलाः जगत्सु।" तो वह कमज़ोर कैसे ही सकती है। इसलिए हे देवी उठिए खड़े होइए और पुनः इस युग मे वैसा ही सक्षम बनिये , समर्थ बनाइये जैसा कि आपके लिए प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है । आप यह मत भूलिए की आप में से ही वक़्त पड़ने पर कोई दुर्गा , काली कोई झांसी की रानी हुई है । अपने आप को कभी कम आंकने की गलती मत करिए । आपके पतन का कारण रहा कि आप चुप चाप अन्याय को सहती रहीं और कभी आवाज़ उठाया ही नहीं इसका एकमात्र कारण क़भी परिवार की इज़्ज़त तो क़भी ये समाज जो अपने हित , फायदे के हिसाब से सभी कायदे क़ानून वक़्त पड़ने पर बदलता रहता है ।आप ख़ुद से अंजान रही क़भी ख़ुद को पहचानने की कोशिश ही नहीं की और उसे स्वीकारती गयी जो दूसरे आपको बतलातें रहें। कभी स्वयं के अंदर झाँक कर ख़ुद के शक़्क्ति और सामर्थ्य को जानने की पहल ही नहीं की। हमेशा अपने हालत के लिए किस्मत को कोसती आई और स्वयं को दोष देती रहीं। आप ख़ुद दूसरों पर आश्रित होने लगीं । आप शायद यह भूल गयी कि प्यासे को समुंदर के पास ख़ुद चल के जाना पड़ता है । इसलिए अपने हक की लड़ाई अपने सम्मान की लड़ाईअपने स्थान की लड़ाई आपको स्वयं ही लड़नी होगी । है महान तू ,है विद्वान तू ,है सर्व शक्तिमान तू । है करुणामयी , है ममतामयी ,है भगवान का अवतार तू ।है विदुषी ,है गार्गी ,है देवी का स्वरूप तू । (Vnita kasnia Punjab) 🌹🌹🙏🙏🌹🌹

दालचीनी के फायदे, उपयोग और नुकसान (Dalchini ke Fayde, By (समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब)Upyog aur Nukshan)Contents1 दालचीनी की परिचय (Introduction of Dalchini)2 दालचीनी क्या है? (What is Cinnamon in Hindi?)3 अन्य भाषाओं में दालचीनी के नाम (Dalchini Called in Different Languages)4 दालचीनी के फायदे (Cinnamon Benefits and Uses in Hindi)4.1 हिचकी की परेशानी में दालचीनी का सेवन (Benefits of Dalchini for Hiccup Problem in Hindi)4.2 भूख को बढ़ाने के लिए दालचीनी का सेवन (Dalchini Benefits for Appetite Problem in Hindi)4.3 उल्टी को रोकने के लिए दालचीनी का प्रयोग (Uses of Dalchini to Stop Vomiting in Hindi)4.4 आंखों के रोग में दालचीनी का प्रयोग (Dalchini Benefits in Eye Disease Treatment in Hindi)4.5 दांत के दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी का सेवन (Uses of Dalchini for Dental Pain in Hindi)4.6 दालचीनी का प्रयोग कर सिर दर्द से आराम (Benefits of Dalchini (Cinnamon) in Relief from Headache in Hindi)4.7 जुकाम में दालचीनी का इस्तेमाल (Dalchini Uses for Common Cold in Hindi)4.8 दालचीनी के उपयोग से खांसी में फायदा (Cinnamon Uses for Cough Disease in Hindi)4.9 नाक के रोग में दालचीनी का इस्तेमाल (Benefits of Dalchini (Cinnamon) to Treat Nasal Disease in Hindi)4.10 पेट फूलने पर दालचीनी से फायदा (Uses of Dalchini for Abdominal Problem in Hindi)4.11 कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दालचीनी का उपयोग (Uses of Cinnamon Powder for Cholesterol or Weight Loss in Hindi)4.12 दस्त पर रोक लगाने के लिए दालचीनी का उपयोग (Uses of Dalchini to Stop Diarrhea in Hindi)4.13 आमाशय विकार में दालचीनी का प्रयोग (Dalchini Uses for Stomach Problem in Hindi)4.14 आंतों के रोग में दालचीनी के सेवन से फायदा (Dalchini Benefits to Treat Intestine Disorder in Hindi)4.15 प्रसव के बाद दालचीनी के सेवन से फायदा (Benefits of Dalchini after Post Pregnancy in Hindi)4.16 चर्म रोग में दालचीनी से फायदा (Dalchini Benefits in Fighting with Skin Disease in Hindi)4.17 दालचीनी के सेवन से बुखार में लाभ (Uses of Dalchini in Fighting with Fever in Hindi)4.18 बहरेपन की समस्या में दालचीनी से लाभ (Benefits of Dalchini in Deafness Problem in Hindi)4.19 दालचीनी का उपयोग कर रक्तस्राव पर रोक (Dalchini Benefits to Stop Bleeding in Hindi)4.20 साइनस में दालचीनी से फायदा (Uses of Dalchini in Sinus Treatment in Hindi)4.21 टीबी में दालचीनी से लाभ (Benefits of Dalchini in T.B. Disease Treatment in Hindi)4.22 गठिया में फायदेमंद दालचीनी का उपयोग (Benefits of Dalchini (Cinnamon) in Arthritis Treatment in Hindi)5 दालचीनी के नुकसान (Side Effects of Dalchini in Hindi)6 दालचीनी के उपयोगी भाग (Useful Parts of Dalchini)7 दालचीनी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Dalchini in Hindi?)8 दालचीनी कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Dalchini Found or Grown?)दालचीनी की परिचय (Introduction of Dalchini)आपने दालचीनी (Daalchini or Cinnamon) का नाम जरूर सुना होगा। आमतौर पर लोग दालचीनी का प्रयोग केवल मसालों के रूप में ही करते हैं, क्योंकि लोगों को दालचीनी के फायदे के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के इस्तेमाल से कई रोगों का इलाज (Dalchini ke fayde) किया जा सकता है।Dalchini ke faydeDalchini ke faydeदालचीनी क्या है? (What is Cinnamon in Hindi?)दालचीनी (Cinnamon in hindi) एक मसाला है। दालचीनी की छाल तेजपात की वृक्ष छाल से अधिक पतली, पीली, और अधिक सुगन्धित होती है। यह भूरे रंग की मुलायम, और चिकनी होती है। फलों को तोड़ने पर भीतर से तारपीन जैसी गन्ध आती है। इसके फूल छोटे, हरे या सफेद रंग के होते हैं। अगर आप दालचीनी की पत्तियों को मलेंगे तो इससे तीखी गंध आती है। दालचीनी का प्रयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक किया जाता है।अन्य भाषाओं में दालचीनी के नाम (Dalchini Called in Different Languages)दालचीनी को दुनिया भर में इन नामों से भी जाना जाता हैः-Names of Cinnamon in –Cinnamon in hindi – दालचीनी, दारुचीनी, दारचीनीDalchini in English– ट्रु सिनैमोन (True Cinnamon), सीलोन सिनामोन (Ceylon Cinnamon)Cinnamon in Sanskrit– त्वक्, स्वाद्वी, तनुत्वक्, दारुसिता, चोचम, वराङ्ग, भृङ्ग, उत्कटCinnamon in Urdu– दारचीनी (Darchini)Cinnamon in Oriya– दालोचीनी (Dalochini), दारूचीनी (Daruchini)Cinnamon in Kannada– लवङ्ग चक्के (Lavanga chakke), तेजदालचीनी (TejaDalchini)Cinnamon in Gujarati– दालचीनी (Dalchini), तज (Taj)Cinnamon in Tamil– लवंग पत्तै (Lavang pattai)Cinnamon in Telugu– लवंगमु (Lavangamu)Cinnamon in Bengali– दारुचीनी (Daruchini)Cinnamon in Punjabi– दाचीनी (Dachini), किरफा (Kirfa)Cinnamon in Malayalam– एरिकोलम (Erikkolam), वरनम (Varanam)Cinnamon in Marathi– दालचीनी (Dalchini)Cinnamon in Nepali– दालचीनी (Daalchiinii), कुखीतगी (Kukhiitagi)Cinnamon in Arabic– दारसीनी (Darsini), किर्फा (Qirfah), र्क्फाहेसेलेनीयाह (Qirfahesailaniyah)Cinnamon in Persian– दारचीनी (Darchini), दारचीनीसेइलनीयाह (Darchinisailaniyah), तालीखाहे (Talikhahe)।दालचीनी के फायदे (Cinnamon Benefits and Uses in Hindi)पतंजलि के अनुसार, दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं। इसके साथ ही दस्त, और टीबी में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है। आप जरूर जान लें कि दालचीनी के इस्तेमाल से कितने प्रकार के फायदे होते हैं, ताकि समय पर दालचीनी का उपयोग कर आप भी फायदा ले सकें।Dalchini Benefits in Hindiदालचीनी के फायदे (Daalchini ke fayde), इस्तेमाल करने के तरीके, और उपयोग की मात्रा यहां दी जा रही हैः-हिचकी की परेशानी में दालचीनी का सेवन (Benefits of Dalchini for Hiccup Problem in Hindi)हिचकी आना बहुत ही साधारण सी बात है, लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें हमेशा हिचकी आने की शिकायत रहती है। ऐसे लोग दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं। दालचीनी के 10-20 मिली काढ़ा को पिएं। इससे आराम मिलता है। [Go to: Dalchini ke fayde]और पढ़े: हिचकी में चना के फायदेभूख को बढ़ाने के लिए दालचीनी का सेवन (Dalchini Benefits for Appetite Problem in Hindi)500 मिग्रा शुंठी चूर्ण, 500 मिग्रा इलायची, तथा 500 मिग्रा दालचीनी को पीस लें। भोजन के पहले सुबह-शाम लेने से भूख बढ़ती है। [Go to: Dalchini ke fayde]उल्टी को रोकने के लिए दालचीनी का प्रयोग (Uses of Dalchini to Stop Vomiting in Hindi)दालचीनी का प्रयोग उल्टी रोकने के लिए भी किया जाता है। दालचीनी, और लौंग का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से उल्टी पर रोक लगती है। [Go to: Dalchini ke fayde]और पढ़े: उल्टी रोकने के लिए करें कमल का उपयोगआंखों के रोग में दालचीनी का प्रयोग (Dalchini Benefits in Eye Disease Treatment in Hindi)अनेक लोग बराबर शिकायत करते हैं कि उनकी आंखें फड़कती रहती हैं। दालचीनी का तेल आंखों के ऊपर (पलक पर) लगाएं। इससे आंखों का फड़कना बन्द हो जाता है, और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। [Go to: Dalchini ke fayde]दांत के दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी का सेवन (Uses of Dalchini for Dental Pain in Hindi)जिन लोगों को दांत में दर्द की शिकायत रहती है, वे लोग दालचीनी का फायदा (Dalchini ke fayde) ले सकते हैं। दालचीनी के तेल को रूई से दांतों में लगाएं। इससे आराम मिलेगा।दालचीनी के 5-6 पत्तों को पीसकर मंजन करें। इससे दांत साफ, और चमकीले हो जाते हैं। [Go to: Dalchini ke fayde]दालचीनी का प्रयोग कर सिर दर्द से आराम (Benefits of Dalchini (Cinnamon) in Relief from Headache in Hindi)अगर आप सिर दर्द से परेशान रहते हैं, तो दालचीनी का सेवन करें। दालचीनी के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप बना लें। दालचीनी के लेप को मस्तक पर लगाने से ठंड, या गर्मी से होने वाली सिर दर्द से आराम मिलता है। आराम मिलने पर लेप को धोकर साफ कर लें।दालचीनी के तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द से आराम मिलती है।दालचीनी, तेजपत्ता, तथा चीनी को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे चावल के धोवन (चावल को धोने के बाद निकाला गया पानी) से पीस कर बारीक चूर्ण बना लें। इसे नाक के रास्ते लें। इसके बाद गाय के घी को भी नाक के रास्ते लें। इससे सिर से संबंधित विकारों में आराम मिलता है।आप तंत्रिका-तंत्र संबंधी परेशानियों के लिए दालचीनी के तेल को सिर पर लगाएं। इससे फायदा होता है। [Go to: Dalchini ke fayde]और पढ़े: सिर दर्द में लवंगादि वटी के फायदेजुकाम में दालचीनी का इस्तेमाल (Dalchini Uses for Common Cold in Hindi)दालचीनी को पानी में घिस कर, गर्म कर लें, और लेप के रूप में लगाएं। इससे जुकाम में फायदा होता है।दालचीनी का रस निकालकर सिर पर लेप करने से भी लाभ (benefits of Dalchini) होता है। [Go to: Dalchini ke fayde]दालचीनी के उपयोग से खांसी में फायदा (Cinnamon Uses for Cough Disease in Hindi)खांसी के इलाज के लिए दालचीनी का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। खांसी से परेशान रहने वाले लोग आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण को, 2 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे खांसी से आराम मिलता है।दालचीनी के पत्ते का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से खांसी ठीक होती है।एक चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण में 1 चम्मच मधु को मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी, और दस्त में फायदा होता है। [Go to: Dalchini ke fayde]Loading videoनाक के रोग में दालचीनी का इस्तेमाल (Benefits of Dalchini (Cinnamon) to Treat Nasal Disease in Hindi)दालचीनी 3½ ग्राम, लौंग 600 मिग्रा, सोंठ 2 ग्राम को एक लीटर पानी में उबाल लें। जब यह पानी 250 मिली रह जाए, तो इसे छान लें। इसको दिन में 3 बार लेने से नाक के रोग में लाभ होता है। आपको इसे 50 मिली की मात्रा में लेना है। [Go to: Dalchini ke fayde]पेट फूलने पर दालचीनी से फायदा (Uses of Dalchini for Abdominal Problem in Hindi)पेट से संबंधित कई तरह के रोगों में दालचीनी बहुत ही फायदेमंद होती है। 5 ग्राम दालचीनी चूर्ण में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करें। पेट के फूलने की बीमारी ठीक होती है। [Go to: Dalchini ke fayde]कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दालचीनी का उपयोग (Uses of Cinnamon Powder for Cholesterol or Weight Loss in Hindi)जिन लोगों के शरीर का वजन अधिक होता है, वे वजन को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। आप भी मोटापा कम करने में दालचीनी से फायदा ले सकते हैं। एक कप पानी में दो चम्मच मधु, तथा तीन चम्मच दालचीनी का चूर्ण (Cinnamon and honey for weight loss) मिला लें। इसका रोज 3 बार सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल कम होता है। [Go to: Dalchini ke fayde]और पढ़ेंः कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए घरेलू उपायदस्त पर रोक लगाने के लिए दालचीनी का उपयोग (Uses of Dalchini to Stop Diarrhea in Hindi)5 ग्राम दालचीनी चूर्ण में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करें। इससे दस्त में फायदा होता है।750 मिग्रा दालचीनी के चूर्ण में 750 मिग्रा कत्था चूर्ण मिला लें। इसे पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।इसी तरह 4 ग्राम दालचीनी, तथा 10 ग्राम कत्था को मिलाकर पीस लें। इसमे 250 मिली खौलते हुए पानी में डालकर ढक दें। दो घंटे बाद इसे छानकर दो हिस्से करके पिएं। इससे दस्त बन्द हो जाते हैं।बेलगिरी के शर्बत में 2-5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। इसे सुबह-शाम पीने से दस्त की समस्या में लाभ होता है।10-20 मिली दालचीनी का काढ़ा पीने से पेट संबंधी बीमारियों में लाभ होता है।दालचीनी की जड़, और छाल का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में पिएं। इससे आमाशय विकार, और दस्त में लाभ मिलता है। [Go to: Dalchini ke fayde]आमाशय विकार में दालचीनी का प्रयोग (Dalchini Uses for Stomach Problem in Hindi)दालचीनी (सिनेमन), इलायची, और तेजपत्ता को बराबर-बराबर लेकर काढ़ा बना लें। इसके सेवन से आमाशय की ऐंठन ठीक होती है।दालचीनी के 5-10 मिली तेल को 10 ग्राम मिश्री के साथ खाने से आमाशय में होने वाला दर्द, और उल्टी में लाभ मिलता है। [Go to: Dalchini ke fayde]आंतों के रोग में दालचीनी के सेवन से फायदा (Dalchini Benefits to Treat Intestine Disorder in Hindi)आंतों को स्वस्थ रखने के लिए भी दालचीनी का इस्तेमाल करना अच्छा (Dalchini ke fayde) परिणाम देता है। दालचीनी (सिनेमन) का तेल पेट पर मलने से आंतों का खिंचाव दूर हो जाता है। [Go to: Dalchini ke fayde]प्रसव के बाद दालचीनी के सेवन से फायदा (Benefits of Dalchini after Post Pregnancy in Hindi)त्रिकटु, पीपरामूल, दालचीनी, इलायची, तेजपात, तथा अकरकरा लें। इनके 1-2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ चाटें। इससे मां बनने वाली महिलाओं के रोग ठीक हो जाते हैं। [Go to: Dalchini ke fayde]चर्म रोग में दालचीनी से फायदा (Dalchini Benefits in Fighting with Skin Disease in Hindi)चर्म रोग को ठीक करने के लिए शहद एवं दालचीनी को मिलाकर रोग वाले अंग लगाएं। आप देखेंगे कि थोड़े ही दिनों में खुजली-खाज, तथा फोड़े-फुन्सी ठीक होने लगेंगे। [Go to: Dalchini ke fayde]दालचीनी के सेवन से बुखार में लाभ (Uses of Dalchini in Fighting with Fever in Hindi)1 चम्मच शहद में 5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से ठंड के साथ आने वाला संक्रामक बुखार ठीक होता है। [Go to: Dalchini ke fayde]बहरेपन की समस्या में दालचीनी से लाभ (Benefits of Dalchini in Deafness Problem in Hindi)बहरापन एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। बहरेपन के इलाज में भी दालचीनी से फायदा होता है। इसके लिए दालचीनी के तेल को कान में 2-2 बूंद डालें। बहरेपन में लाभ होता है। [Go to: Dalchini ke fayde]और पढ़े: कान दर्द में साारिवादि वटी के फायदेदालचीनी का उपयोग कर रक्तस्राव पर रोक (Dalchini Benefits to Stop Bleeding in Hindi)अगर फेफड़ों, या गर्भाशय से रक्तस्राव हो रहा है तो दालचीनी का काढ़ा 10-20 मिली पिएं। आपको काढ़ा को सुबह, दोपहर तथा शाम पीना है। इससे लाभ पहुंचता है।शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव होने पर एक चम्मच दालचीनी चूर्ण (Dalchini powder) को एक कप पानी के साथ सेवन करें। इसे 2-3 बार सेवन करना है। [Go to: Dalchini ke fayde]साइनस में दालचीनी से फायदा (Uses of Dalchini in Sinus Treatment in Hindi)दालचीनी, आक का दूध, तथा दारुहल्दी को पीस लें। इसका पेस्ट (बत्ती के जैसा) बना लें। साइनस में नाक के अंदर घाव बन जाता है, इसे उस घाव पर लगाएं। इससे घाव को भर दें। इससे साइनस में फायदा होता है। [Go to: Dalchini ke fayde]और पढ़ेंः साइनस में फायदेमंद कर्चूरटीबी में दालचीनी से लाभ (Benefits of Dalchini in T.B. Disease Treatment in Hindi)टीबी एक जानलेवा बीमारी है, जिससे देश भर में कई लोग ग्रस्त हैं। पतंजलि के अनुसार, टीबी के इलाज के लिए दालचीनी से लाभ मिलता है। टीबी मरीज को दालचीनी के तेल को थोड़ी मात्रा में पीना है। इससे टीबी के कीटाणु खत्म हो जाते हैं। [Go to: Dalchini ke fayde]गठिया में फायदेमंद दालचीनी का उपयोग (Benefits of Dalchini (Cinnamon) in Arthritis Treatment in Hindi)10-20 ग्राम दालचीनी के चूर्ण को 20-30 ग्राम मधु में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे दर्द वाले स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करें। इससे फायदा मिलेगा।इसके साथ-साथ एक कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच मधु, एवं दालचीनी का 2 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे सुबह, दोपहर, तथा शाम सेवन करें। गठिया में लाभ देता है।दालचीनी के पत्ते के तेल को लगाने से भी गठिया में आराम मिलता है। [Go to: Dalchini ke fayde]और पढ़े: गठिया के दर्द में फायदेमंद कपासदालचीनी के नुकसान (Side Effects of Dalchini in Hindi)जैसे कोई भी चीज किसी के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि इससे सभी को फायदा मिले। दूसरे व्यक्ति को उससे हानि भी हो सकती है। इसी तरह दालचीनी के नुकसान भी होते हैं, जो ये हैंः-दालचीनी का अधिक मात्रा में सेवन करने से सिर में दर्द (Dalchini ke nukshan) की शिकायत हो सकती है।दालचीनी गर्भवती स्त्रियों को नहीं देनी चाहिए, क्योंकि यह गर्भ को गिरा देती है।दालचीनी को गर्भाशय में भी रखने से भी गर्भ गिर जाता है।इसलिए दालचीनी के नुकसान से बचने के लिए इस्तेमाल से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लें।दालचीनी के उपयोगी भाग (Useful Parts of Dalchini)दालचीनी का सेवन कई तरह से किया जा सकता है, जो ये हैंः-पत्तेछाल (Dalchini twak)जड़तेलदालचीनी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Dalchini in Hindi?)छाल का चूर्ण- 1 से 3 ग्रामपत्तों का चूर्ण- 1 से 3 ग्रामतेल- 2 से 5 बूंददालचीनी कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Dalchini Found or Grown?)दालचीनी की खेती दक्षिण-पश्चिमी भारत के समुद्र-तटीय, और निचले पहाड़ी क्षेत्रों जैसे- तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल में की जाती है। दालचीनी (Dalchini tree) 6-16 मीटर ऊंचा, और मध्यम आकार का होता है। इसके पत्ते गुलाबी रंग के, और चमकीले-हरे होते हैं। इसकी खेती जुलाई से दिसम्बर तक की जाती है।

रोजाना अलसी खाने के ये 10 फायदे, By (समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब)आपको हैरान कर देंगे क्या आपको हार्ट प्रॉब्लम्स हैं...?क्या आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है....? क्या आपका वजन बढ़ रहा है ? यदि आपका जवाब हां में है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। अलसी में छुपा हुआ है, आपकी इन समस्याओं का समाधान। जी हां, अलसी के छोटे- छोटे बीजों में आपकी सेहत के बड़े-बड़े राज छुपे हुए हैं। अगर आप नहीं जानते, तो जरूर पढ़ि‍ए और जानिए अलसी के यह बेहतरीन फायदे - 1 भूरे-काले रंग के यह छोटे छोटे बीज, हृदय रोगों से आपकी रक्षा करते हैं। इसमें उपस्थित घुलनशील फाइबर्स, प्राकृतिक रूप से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। इससे हृदय की धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल घटने लगता है, और रक्त प्रवाह बेहतर होता है, नतीजतन हार्ट अटैक की संभावना नहीं के बराबर होती है । 2 अलसी में ओमेगा-3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो रक्त प्रवाह को बेहतर कर, खून के जमने या थक्का बनने से रोकता है, जो हार्ट-अटैक का कारण बनता है। यह रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायक है। 3 यह शरीर के अतिरिक्त वसा को भी कम करती है, जिसे आपका वजन कम होने में सहायता मिलती है। 4 अलसी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स, बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करती है, जिससे त्वचा पर झुर्रियां नहीं होती और कसाव बना रहता है। इससे त्वचा स्वस्थ व चमकदार बनती है। 5 अलसी में अल्फा लाइनोइक एसिड पाया जाता है, जो ऑथ्राईटिस, अस्थमा, डाइबिटीज और कैंसर से लड़ने में मदद करता है। खास तौर से कोलोन कैंसर से लड़ने में यह सहायक होता है। 6 सीमित मात्रा में अलसी का सेवन, खून में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। इससे शरीर के आंतरिक भाग स्वस्थ रहते हैं, और बेहतर कार्य करते हैं। 7 इसमें उपस्थित लाइगन नामक तत्व, आंतों में सक्रिय होकर, ऐसे तत्व का निर्माण करता है, जो फीमेल हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 8 अलसी के तेल की मालिश से शरीर के अंग स्वस्थ होते हैं, और बेहतर तरीके से कार्य करते हैं। इस तेल की मसाज से चेहरे की त्वचा कांतिमय हो जाती है। 9 शाकाहारी लोगों के लिए अलसी, ओमेगा-3 का बेहतर विकल्प है, क्योंकि अब तक मछली को ओमेगा-3 का अच्छा स्त्रोत माना जाता था,जिसका सेवन नॉन-वेजिटेरियन लोग ही कर पाते हैं। 10 प्रतिदिन सुबह शाम एक चम्मच अलसी का सेवन आपको पूरी तरह से स्वस्थ रखने में सहायक होता है, इसे पीसकर पानी के साथ भी लिया जा सकता है । अलसी को नियमित दिनचर्या में शामिल कर आप कई तरह की बीमारियों से अपनी रक्षा कर सकते हैं, साथ ही आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

अलसी की रोटी - Chapati with Flax seeds - Alsi ki Roti Recipe By (समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब) अखरोट और बादाम से भी अधिक पोषक तत्व, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, लिगनेन और फाइबर से युक्त अलसी का रोजाना में प्रयोग हम अपनी रोटी में मिलाकर भी कर सकते हैं.Read - Chapati with Flax seeds - Alsi ki Roti Recipe In English आवश्यक सामग्री - Ingredients for flax seeds mixed chapatiगेहूं का आटा - 1 कप (150 ग्राम)जीरा - ¼ छोटी चम्मचनमक - ½ छोटी चम्मचअलसी पाउडर - 2 टेबल स्पून (11 ग्राम)घी - 2 टेबल स्पूनविधि - How to make Roti with Flax Seedsआटा किसी बड़े प्याले में निकाल लीजिये, इसमें जीरा, नमक, अलसी का पाउडर और 1 छोटी चम्मच घी डालकर मिला लीजिये. थोडा़-थोडा़ पानी डालते हुए नरम आटा गूंथ कर तैयार कर लीजिये. आटे को 20-30 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये, आटा सैट होकर तैयार हो जायेगा.25-30 मिनिट के बाद आटा सैट हो जायेगा. हाथ पर थोड़ा सा तेल लगाकर आटे को मसल कर चिकना कर लीजिये. तवा गरम कीजिये. आटे से थोड़ा सा आटा तोड़िये और गोल लोई बनाकर तैयार कर लीजिये, लोई को सूखे आटे में लपेट कर चकले पर रखिये, बेलन से एक जैसा गोल बेलिये. इस बेली गई चपाती को फिर से सूखे आटे में लपेटिये, अतिरिक्त सूखा आटा चपाती से झाड़ दीजिये.सूखा आटा लगी चपाती को चकले पर रखिये और चारों तरफ एक जैसी मोटाई की गोल चपाती बेल कर तैयार कर लीजिए. बेली गई गोल चपाती को गरम तवे पर डालिये, निचली सतह थोड़ी ही सिकने पर चपाती की ऊपर की सतह का कलर कुछ गहरा हो जाता है, चपाती को पलटिये. दूसरी सतह पर भी ब्राउन चित्ती आने तक सेक लीजिए. जब तक रोटी सिक रही है तब तक दूसरी चपाती बेल कर तैयार कर लीजिये.रोटी की दूसरी ओर से हल्की ब्राउन चित्ती आने पर, उसको सीधे गैस पर सेकने के लिये तवे से उतारिये और पहले चित्ती वाली सतह को सीधे आग पर चिमटे की सहायता से घुमाते हुये थोड़ा और गहरी चित्ती होने तक सेकिये. ये ध्यान रहे कि चित्ती ब्राउन ही रहे, रोटी को पलट कर दूसरी तरफ सेकिये. चपाती को चिमटे से पकड़ कर चारों ओर घुमाते हुये, दोंनो ओर हल्की ब्राउन चित्ती आने तक सेक लीजिये.रोटी सिक कर तैयार है, इस पर उपर से थोडा़ सा घी लगा लीजिए और प्लेट पर रखी प्याली पर रख दीजिए, इसी तरह से सारी रोटीयां बना कर तैयार कर लीजिए. अलसी की रोटी को दाल, सब्जी, रायता, दही, अचार, चटनी किसी के भी साथ परोसिये, और खाइये.सुझाव:अलसी पाउडर बनाने के लिये अलसी के बीज को साफ करके ग्राइंडर में पीस लीजिये.